Saturday, December 20, 2014

           @ आईने से पूछ कर। .......

आईने से पूछ कर एक दिन बतादेंगे तुझे
खूबसूरत कौन है यह भी दिखा देंगे तुझे

हमने सीखा प्यार में ज़िंदगी जीने का फन
मौत के साये तले  जीना सीखा देंगे तुझे

अगरचह अपनी ज़िंदगी के सच को पहचाना नही
जाने क्या क्या यह जहाँ वाले बना देंगे तुझे


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Tuesday, November 18, 2014

*** सिर्फ तुम ही तो नही। ***


               *** सिर्फ तुम ही तो नही। ***         mjrahi


हाँ यह सच है कि मुझे तुमसे मुहब्बत है।
यह भी सच है कि मैं तुम्हारी चाहत हूँ। 

पर………… 

मेरी ज़िंदगी में चाहतों की कमी तो नही ,
रिश्ते और भी हैं,एक सिर्फ तुम्ही तो नही। 

आओ। …………… 

अपनी ज़ात के एक और पहलु से मिलाऊँ तुम्हें ,
मैं क्या हूँ कैसी हूँ आज बताऊँ तुम्हें। 

अपनी माँ की तरबियत हूँ मैं ,
इज़्ज़त हूँ अपने पापा की ,
मान हूँ अपने भाई का ,
परछाई हूँ अपने बहन की। 

तो। …....... 

बहक जाऊं मैं यह कभी मुमकिन ही नही ,
दिल यह सब भी तो रखता है सिर्फ तुम ही तो नही। 

     राधिका की शायरी  को साहिल बड़ी ख़ामुशी और इतमीनान से सुने जा रहा था। 
 उसे लगा कि  राधिका जब अपनी शायरी मुकम्मल करेगी तो उसका सवाल होगा
 कहो शायरी कैसी लगी ? 
और वह बहुत खूब , बहुत खूब कह कर उसकी शायरी की दाद देगा। 
 उसके अंदाज़ की तारीफ़ करेगा। 
उसकी  हौसला अफ़ज़ाई करेगा। 
        मगर ऐसा कुछ भी नही हुआ। 
 ना राधिका ने अपनी शायरी की दाद चाही
 और ना ही साहिल ने उसकी शायरी की सताइश की,
      इन सब से अलग साहिल राधिका की शायरी के मायने ओ मतलब तलाशने लगा। 
 राधिका की शायरी से माहोल में खामोशी छा गई थी। 
 दोनों एक दूसरे को महवे हैरत ताके जा रहे थे ,
किसी में इतनी जुर्रत न रही के किसी कुछ पूछ ले।
आखिर कार राधिका ने हिम्मत जुटाई  और साहिल से मुखातिब होकर कहमे लगी.…कब तक! ………… 
आखिर कब तक  हम हकीकत से मुंह चुराते फिरेंगे ,
 कब तक झूठी तसल्ली के सहारे ज़िंदगी गुज़ारते रहेंगे ,
 लहरों के खिलाफ जाने में ना तो सरक्षा  है और ना ही होश्यारी। 
 दुनया हमारे प्यार को कबूल नही करेगी ,
 दुन्या की बात छोडो।  ज़रा सोचो !
 जब हमारे माता पिता को हमारे प्यार की खबर होगी तब उनपर  पर क्या गुजरेगी ,
 वह यह कभी स्वीकार नही करेंगे। 
 खैर उनकी छोडो 
कुछ पल के लिए अगर मै खुद गर्ज़ बन भी जाती हूँ। 
तो  अगले पल ही मेरा ज़मीर मुझे हैरान करने लग जाता है 
     


mjrahi


Monday, November 3, 2014

और फिर अचानक .....

    और फिर अचानक ........

जो तुमसे मुलाकात होती
तो तुम्हे आईना दिखाते
तुम्हे तुमसे रूबरू कराते
 कुछ सुनते , कुछ  सुनाते
कुछ बताते, कुछ याद दिलाते

फिर पूछते तुमसे......

क्या देखा ?
कौन था ?
किस से मिले ?
क्या सुना ?
क्या याद आया?

तब.......

सर्द आहों के दरमियाँ
गर्म आंसुओं की दो धाराऐं
तुम्हारी आँखों से बह कर
तुहारे दिल पर जमी तज़बज़ुब के गर्द व गुबार धोकर
हवा होजाती।

और फिर अचानक .....

सिसकियों में दबी दबी आवाज़ में तुम कहती।
हाँ , मुश्किल था - बहुत मुश्किल था
अहद व वफ़ा का निभाना मुश्किल था
तुम्हारे साथ जाना मुश्किल था
सभी को छोड़ कर तुम्हे अपनाना मुश्किल था


................... …………………………… जारी




Wednesday, October 29, 2014

मेरे ख्वाबों की मानिंद ...........

छोड़कर मुझको वह अगर जाएगा ,
मेरे ख्वाबों की मानिंद बिखर जाएगा। 

आईना  खौफ से वाक़िफ़ तो नही है लेकिन ,

मेरी आँखों में जो देखेगा तो डर जायेगा। 

………………… एम जे राही 

Monday, October 27, 2014

ख्वाबों की तादाद बढ़ाता रहता हूँ

ख्वाबों की तादाद बढ़ाता रहता हूँ 
बिन शादी औलाद बढ़ाता रहता हूँ 

 सुबह भली हो या हो चाहे शाम हसीं ,
 पलकों पे हर वक़्त  झुलाता रहता हूँ 

आंसू बन कर चुभता है वह आँखों में 
जिसकी हर पल याद मनाता रहता हूँ 

 ……………………।

                         ............mjrahi



तू तो मोहब्बत है मेरि....

तेरे ग़म से आशना होकर
तेरे दर्द को महसूस करना
जैसे आदत है मेरी
तू तो मोहब्बत है मेरी ....

तेरी आँखों में खुद को तलाशना
तेरी यादों में रातों को जागना
जैसे फितरत है मेरी
तू तो मोहब्बत है मेरी ....

आईने से गुफ्तुगू करना
हरपल तेरी आरज़ू करना
खुद पर ये इनायत है मेरी
तू तो मोहब्बत है मेरी ....

………………एम जे रहि 

ستاروں کو درد ہے

         گھایل ہے آسماں تو ستاروں کو درد ہے
        ہم ہی نہیں ہیں تنہاں ہزاروں کو درد ہے

         جب لٹ گئی بہار مے گلشن کی آبرو
پھولوں کی چال دیکھ کے خاروں کو درد ہے 

Friday, October 10, 2014

उसने समझा ही नही !

              उसने समझा ही नही !

    ख़ुद को जो अपनी निगाहों से गिरा देता है,
    ऐसे इंसान को हर शख़्स भुला देता है।

    कौन अब दर्द ए मोहब्बत को संभाले रखे,
    मांगने वालों को हर चीज़ खुदा देता है।

    उसने समझा ही नही प्यार का असली मतलब,
     इश्क़ पत्थर को भी भगवन बना  देता है।  ..............

      .........................................................mjrahi

Thursday, October 9, 2014

आदर्श _प्रेम

                      .                 आदर्श_प्रेम 

                             रात लग-भग आधी गुज़र चुकी थी, मोहल्ले के तमाम नवजात बच्चे भी अपनी माँ के सीने से लगकर सो रहे थे ,चांदनी रात थी ,चाँद की रौशनी  के साथ-साथ माहौल में सन्नाटा भी पसरा  हुआ था, खामोश खड़े दरख़्तों की पत्तियों ने आपस में मिलकर जैसे ही  मोहब्बत की  रागनी  बजाई , आदर्श चींख पड़ा . और आदर्श की  चींख से सारा मोहल्ला जाग गया। 
 आदर्श की चींख अब सिसकियों मे तब्दील हो चुकी थी , माँ सरहाने मे बैठी बालों मे ऊँगली घुमाते हुवे उम्मीद बांधते बोलती '' बेटा कुछ नही होगा तुम्हें '' सो जाओ रात काफी हो चुकी है , सुबह जल्दी उठना है, और खुद ही रो पड़ती।
 जवान बेटे की इस हालत पर माँ का दिल रो कर चुप हो भी जाता , मगर मोहल्ले के  लोगों के पास वह दिल  कहाँ था  जो रोज़ आदर्श को हो रही  इस पीड़ा को महसूस कर सके।                                  
                                                                                                     ………………जारी 


………mjrahi

शबनम टपक पड़ी !

हमने तुम्हारे हुस्न पर  जब भी ग़ज़ल कही ,
ऐसा लगा   के  फूल पर शबनम टपक पड़ी।

 इल्ज़ाम ए बेवफाई  मुझपर फ़ुज़ूल है ,
करते हैं इश्क़ तुमसे तो होती है शायरी। 


……………… एम जे राही 


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Saturday, September 13, 2014

आज़ादी !

    जिस्म तो आज़ाद है, अब ज़हन भी आज़ाद हो,
आग में फ़िरक़ा परस्ती के ना  अब जलकर कोई बर्बाद हो. 

इसलिये इस मुल्क के हर शख़्स  पर लाज़िम है यह ,
    भाई चारे के सभी दस्तूर सबको याद  हो। 

एम जे राही। ……… 

Wednesday, September 10, 2014

उड़ान


सूर्य जैसा जल के देख ,
भीड़ से निकल के देख ,
रास्ता बदल के देख ,
और फिर तू चल के देख.

खुद में तू भी जान भर.
एक नई उड़ान भर।

काली रात के सितारे ,
जगमगा रहे हैं  सारे ,
कितने लग रहे हैं न्यारे ,
कुछ सिखा रहे हैं प्यारे,

खुद को तू भी चाँद कर,
 एक नई उड़ान  भर। ……………… …।

एम जे राही 

Saturday, August 30, 2014

....हज़ारों को दर्द है

घायल है आसमां तो सितारों को दर्द है ,
हम ही नहीं हैं तनहा हज़ारों को दर्द  है.

जब लूट गई बहार में गुलशन की आबरू,
 फूलों की चाल देख के खरों को दर्द है.


……एम जे राही 

Sunday, August 24, 2014

गुल व बुलबुल

  मैंने देखा एक बुलबुल को 
कान में कुछ कहते हुए गुल को 

डाल डाल पर घूम घूम कर 
बुलबुल गाती झूम झूम कर 


Wednesday, August 13, 2014

बहुत ज़रूरी है।

सवाल खुद पे उठाना बहुत ज़रूरी है ,
खुदी को यार बचाना बहुत ज़रूरी है।

मेरा तो कोई नही है, मगर वो मुश्किल में,
सदा जो दी है तो जाना बहुत ज़रूरी है।

………… एम जे राही 

Monday, August 11, 2014

दर्द तो होता है,

  ज़िन्दगी है, ज़िंदा हैं, और दर्द न हो भला यह कैसे मुमकिन है?

बचपन में खिलौने टूट जाने का दर्द ,
स्कूल न जाना पड़े इस के लिए पेट में दर्द ,
अमरुद के पेड़ पर चढ़ना, और  फिर पेड़ से
 गिरजाने पर पुरे बदन में दर्द ,
 छुट्टियों में घर जाना और 
फिर छुट्टियों के ख़त्म होने का दर्द 
परीक्षा सफल होने के बावजूद 
एक विषय में कम नंबर आने का दर्द,
स्कूल ख़त्म होने पर दोस्तों से बिछड़ने का दर्द 
............. जारी 

Sunday, August 10, 2014

मै आईना हुँ.

  मै आईना  हुँ  ज़रा  आओ  इधर  देखो
क़सम खुदा की संवर जाओगी एक नज़र देखो

  दर्द प्रदेश में कितना है सुकूँ कितना है
ये समझने के लिए करके एक सफर देखो

आह दिल से निकलते ही सरे अर्श पहुँच जाती है
  यूँ तो कहने को नही कोई बाल व पर देखो

………………… एम जे राही 

Friday, August 8, 2014

चरित्र

                       किसी महान व्यक्ति का कहना है  कि अगर आपके हाथ से पैसा गया तो समझो कुछ गया , अगर स्वस्थ गया तो समझो बहुत कुछ गया और अगर चरित्र गया तो समझो सब कुछ चला गया। चरित्र इंसान को समाज में अलग पहचान बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है , यही वजह है की दुन्या में मनुष्य को किसी न किसी रूप में कई बार अपने चरित्र की परीक्षा देनी पड़ती है..........
......................... जारी 

Wednesday, August 6, 2014

याद ..

..............याद ............

   आज यादों से मैंने कहा आप की
  तुम्हें भी  कभी साथ  लाये  ज़रा

हंस कर कहने लगी मुझसे याद आपकी
सब्र करना तो  दिल को सिखा दे ज़रा..

............mjrahi

Friday, August 1, 2014

تو ڈ ر جاےگا

آئینہ  خوف  سے  واقف  تو  نہیں  ہے  لیکن

 .میری آنکھوں میں جو  دیکھے  گا تو ڈ ر جاےگا ..

........................ایم  جے راھی 


Monday, July 28, 2014

एक मोअम्मा है समझने का न समझाने का,
   ज़िन्दगी कहे को है ख्वाब है दीवाने का।.

   सदफ को गौहरे नायाब लिखना 
गलत है ज़िन्दगी को ख्वाब लिखना  . 

औरत यानि समाज की इज्ज़त

***औरत यानि समाज की इज्ज़त*** तू प्रेम में राधा बनी , गृहस्थी मे बनी जानकी..... अब तू भी अपना रूप बदल ..... कि अब बात है तेरे सुरक्षा और सम्...