जिस्म तो आज़ाद है, अब ज़हन भी आज़ाद हो,
आग में फ़िरक़ा परस्ती के ना अब जलकर कोई बर्बाद हो.
इसलिये इस मुल्क के हर शख़्स पर लाज़िम है यह ,
भाई चारे के सभी दस्तूर सबको याद हो।
एम जे राही। ………
***औरत यानि समाज की इज्ज़त*** तू प्रेम में राधा बनी , गृहस्थी मे बनी जानकी..... अब तू भी अपना रूप बदल ..... कि अब बात है तेरे सुरक्षा और सम्...