Sunday, August 10, 2014

मै आईना हुँ.

  मै आईना  हुँ  ज़रा  आओ  इधर  देखो
क़सम खुदा की संवर जाओगी एक नज़र देखो

  दर्द प्रदेश में कितना है सुकूँ कितना है
ये समझने के लिए करके एक सफर देखो

आह दिल से निकलते ही सरे अर्श पहुँच जाती है
  यूँ तो कहने को नही कोई बाल व पर देखो

………………… एम जे राही 

No comments:

Post a Comment

औरत यानि समाज की इज्ज़त

***औरत यानि समाज की इज्ज़त*** तू प्रेम में राधा बनी , गृहस्थी मे बनी जानकी..... अब तू भी अपना रूप बदल ..... कि अब बात है तेरे सुरक्षा और सम्...