Friday, August 1, 2014
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औरत यानि समाज की इज्ज़त
***औरत यानि समाज की इज्ज़त*** तू प्रेम में राधा बनी , गृहस्थी मे बनी जानकी..... अब तू भी अपना रूप बदल ..... कि अब बात है तेरे सुरक्षा और सम्...
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Agar mahsos karna hai to zra Adhore chand se nikal kar Khidki se Tumhare aram gah k andar jhankti Apne hoton par Tbassum saj...
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हाँ मुझे याद है ! कि जब तुम मुझसे बातें करती थी तो ऐसा लगता था जैसे झरने का साफ़ पानी ऊँचाई से धरती पर गिर कर संगीत को जन्म दे रहा हो....
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काम जब भी कोई नया कीजिये मशवरा दोस्तो कर लिया कीजिये आईने की तरह साफ़ है दिल मेरा आप भी अपना दिल आईना कीजिये जिंद...
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