हमने तुम्हारे हुस्न पर जब भी ग़ज़ल कही ,
ऐसा लगा के फूल पर शबनम टपक पड़ी।
इल्ज़ाम ए बेवफाई मुझपर फ़ुज़ूल है ,
करते हैं इश्क़ तुमसे तो होती है शायरी।
……………… एम जे राही
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***औरत यानि समाज की इज्ज़त*** तू प्रेम में राधा बनी , गृहस्थी मे बनी जानकी..... अब तू भी अपना रूप बदल ..... कि अब बात है तेरे सुरक्षा और सम्...
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