Sunday, September 25, 2016

हाँ मुझे याद है !

हाँ मुझे याद है !

कि जब तुम मुझसे बातें करती थी
तो ऐसा लगता था
जैसे
झरने का साफ़ पानी ऊँचाई से धरती पर गिर कर संगीत को जन्म दे रहा हो.
जब तुम मुस्कुराती थी तो लगता था
जैसे ...
गुलशन मॆं फूल खिल रहे हों और उसकी खुशबू से मेरी रूह सैराब हो रही हो,

दुन्या जानती है
कि प्यार करने वालों के ख्वाब निहायत ही अलबेले और दिल फरेब होते हैं,.......हकीक़त की परछाइयां जब उन ख्वाबों मॆं मिलती हैं तो ये उनकी ताबीरें नही करते......
बल्कि उन ख्वाबों की रूमानियत से ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं !

मगर यह नही जानती कि....
मुहब्बत करने वालों को जात पात कि जंजीरों मॆं बाँध कर रखा नही जा सकता.

और
आज जब तुम मेरे पास मौजौद नही हो तो पता नही क्यूँ तुम्हारी कमी मेरे दिल के तारों को झुनझुना रही है ?

साथ ही
मुझे यकीन है कि तुम आसमान के किसी कोने मॆं तारों कि झूर्मत मॆं अप्सरा कि तरह खड़ी होकर दुन्या कि बे रहमी पर मुस्कुरा रही होगी.....  😊😊😊

" काश मैं भी तुम्हें देख पाता "
मैं तो अपनी बेबसी पर चार आँसू भी नही बहा पाया 😥😥
और तुमने अपनी जिंदगी की किताब पर आखरी दस्तख़त कर दिये...... 😔😔

....... To be continue

जहांगीर राही

www.mjrahi.blogspot.com

No comments:

Post a Comment

औरत यानि समाज की इज्ज़त

***औरत यानि समाज की इज्ज़त*** तू प्रेम में राधा बनी , गृहस्थी मे बनी जानकी..... अब तू भी अपना रूप बदल ..... कि अब बात है तेरे सुरक्षा और सम्...