और फिर अचानक ........
जो तुमसे मुलाकात होती
तो तुम्हे आईना दिखाते
तुम्हे तुमसे रूबरू कराते
कुछ सुनते , कुछ सुनाते
कुछ बताते, कुछ याद दिलाते
फिर पूछते तुमसे......
क्या देखा ?
कौन था ?
किस से मिले ?
क्या सुना ?
क्या याद आया?
तब.......
सर्द आहों के दरमियाँ
गर्म आंसुओं की दो धाराऐं
तुम्हारी आँखों से बह कर
तुहारे दिल पर जमी तज़बज़ुब के गर्द व गुबार धोकर
हवा होजाती।
और फिर अचानक .....
सिसकियों में दबी दबी आवाज़ में तुम कहती।
हाँ , मुश्किल था - बहुत मुश्किल था
अहद व वफ़ा का निभाना मुश्किल था
तुम्हारे साथ जाना मुश्किल था
सभी को छोड़ कर तुम्हे अपनाना मुश्किल था
................... …………………………… जारी
जो तुमसे मुलाकात होती
तो तुम्हे आईना दिखाते
तुम्हे तुमसे रूबरू कराते
कुछ सुनते , कुछ सुनाते
कुछ बताते, कुछ याद दिलाते
फिर पूछते तुमसे......
क्या देखा ?
कौन था ?
किस से मिले ?
क्या सुना ?
क्या याद आया?
तब.......
सर्द आहों के दरमियाँ
गर्म आंसुओं की दो धाराऐं
तुम्हारी आँखों से बह कर
तुहारे दिल पर जमी तज़बज़ुब के गर्द व गुबार धोकर
हवा होजाती।
और फिर अचानक .....
सिसकियों में दबी दबी आवाज़ में तुम कहती।
हाँ , मुश्किल था - बहुत मुश्किल था
अहद व वफ़ा का निभाना मुश्किल था
तुम्हारे साथ जाना मुश्किल था
सभी को छोड़ कर तुम्हे अपनाना मुश्किल था
................... …………………………… जारी
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