Monday, October 27, 2014

ख्वाबों की तादाद बढ़ाता रहता हूँ

ख्वाबों की तादाद बढ़ाता रहता हूँ 
बिन शादी औलाद बढ़ाता रहता हूँ 

 सुबह भली हो या हो चाहे शाम हसीं ,
 पलकों पे हर वक़्त  झुलाता रहता हूँ 

आंसू बन कर चुभता है वह आँखों में 
जिसकी हर पल याद मनाता रहता हूँ 

 ……………………।

                         ............mjrahi



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