Tuesday, December 29, 2015

خدا سے خود کو ملانا بہت ضروری ہے !





سوال خود پے اٹھانا بہت ضروری ہے
  خودی کو یار بچانا بہت ضروری ہے 

میرا تو کوئی نہیں ہے مگر وہ مشکل میں 
صدا جو دی ہے تو جانا بہت ضروری ہے 

گزر چکا ہے جو پل لوٹ کر نہ آےگا 
اسے بھی یار بھلانا بہت ضروری ہے 

میرے نصیب کی خوشیاں بھی لے گیا ہے وہ 
نصیب پہر سے بنانا بہت ضروری ہے 

وفا پرست زمانے میں اب نہی ملتا 
خدا سے خود کو ملانا بہت ضروری ہے 

جاتے جاتے یہ کہ گیئ زندگی مجھسے 
کسی کو اپنا بنانا بہت ضروری ہے 


Md Jahangeer Rahi 

Saturday, November 14, 2015


तिनका तिनका बिखर रहा हूँ मैं !



ऐसे हालात  से गुज़र रहा हूँ मैं ,
तिनका तिनका बिखर रहा हूँ मैं !


आईने में ये किसका चेहरा है ?
आज ये किस से डर रहा हूँ मैं ?


इश्क़ तो आग का समंदर है ,
फिर भी इसमें उतर रहा हूँ मैं !


आज जुगनूं भी तंज़ करता है ,
चाँद तारों का हमसफ़र रहा हूँ मैं.


ए ग़ज़ल साथ अब निभा तू ही 
लफ्ज़ हर लफ्ज़ मर रहा हूँ मैं। 


#mjrahi

Tuesday, September 8, 2015

                                           #MJRAHI

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! تنکا تنکا بکھر رہا ھوں میں 



ایسے حالات سے گزر رہا ھوں میں 
تنکا تنکا بکھر رہا ھوں میں 



آینے میں یہ کس کا چہرہ ہے 
آج یہ کس سے ڈر رہا ھوں میں 



عشق تو آگ کا سمند ر ہے 
پھر بھی اس میں اتر رہا ھوں میں 



آج جگنو بھی طنز کرتا ہے 
چاند تاروں کا ہم سفر رہا ھوں میں 



اے غزل ساتھ اب نبھا تو ہی 
لفظ ہر لفظ مر رہا ھوں میں 


#MJRAHI

Wednesday, July 29, 2015

تو بھی محسوس تو کر

! تو بھی محسوس تو کر 

یہ تلخیاں کیوں میرے لفظوں میں نظر آتی ہے ؟
یہ درد کیوں میرے ھمراہ چلا  آ تا ہے ؟
یہ تیرگی کیوں میری تقدیر بنی جاتی ہے ؟
یہ چاند کیوں میرے دل کو جلا جاتا ہے ؟

! تو بھی محسوس تو کر 

  ! کیوں میرے معصوم سے خواب 
 اب نہ ہنستے ہیں ,  نہ کھلتے ہیں , نہ مسکاتے ہیں 
, زندگی کرب سے تھراتی ہے لمحہ لمحہ 
, اور قضا پاس بلا نے سے بھی گھبراتی ہے 

! تو بھی محسوس تو کر 

کیوں تیری یاد ستا تی ہے مجھے ؟
کیوں تیرے درد کو میں نے سنبھالے رکھا ؟
کیوں تیری تصویر جلائی نہیں اب تک ؟
کیوں تیرے زخموں کو پا لے رکھا ؟ 

! تو بھی محسوس تو کر 

کیوں تو نادم ہے وفا پر اپنی ؟
عشق پر اپنے میں کیوں شرمندہ ہوں ؟
کوئی مقصد نہ ارادہ ہے نہ حسرت سے کوئی
 تو کیوں زندہ ہوں؟ میں کس کے لئے زندہ ہوں؟

! تو بھی محسوس تو کر 

#mjrahi

Friday, May 29, 2015

तु भी महसूस तो कर !

तु भी महसूस तो कर !
ये तल्खयाँ  , क्यों  मेरे लफ्ज़ो में नज़र आती है ?
ये दर्द क्यों मेरे  हमराह चला आता है ?
ये तीरगी क्यों  मेरी तकदीर बनी जाती है ?
ये चाँद क्यों मेरे दिल को जला जाता है ?
तु भी महसूस तो कर !

 क्यों मेरे मासूम से ख्वाब ?
अब न खिलते हैं न हँसते हैं न मुस्काते हैं , 
ज़िंदगी कर्ब  से थर्राती है  लम्हा लम्हा , 
और कज़ा पास बुलाने से भी घबराती है ?
तु भी महसूस तो कर !

 क्यों तेरी याद सताती है मुझे ? 
क्यों तेरे दर्द को मैंने संभाले रखा ?
क्यों तेरी तस्वीर जलाई नही अबतक ?
क्यों तेरे ज़ख्मों को पाले रखा ?

तु भी महसूस तो कर !


क्यों तू नादिम है वफ़ा पर अपनी ?
इश्क़ पर अपने मै क्यों शर्मिंदा हूँ ?
कोई मकसद न इरादा है न हसरत कोई !
तो क्यों ज़िंदा हूँ ? मैं किसके लिए ज़िंदा हूँ ????

#mjrahi

copyright: allrightreserved@mjrahi

Saturday, May 9, 2015


م  ج  راھی                          

قیا مت سے پہلے قیا مت ہوئی ہے
بہت خوبصورت شرارت ہوئی ہے 

میرے جسم پر جسکی گولی چلی تھی 
اسی کی میرے گھر ضیافت ہوئی ہے 



Tuesday, April 21, 2015

              एहसास ए ज़िन्दगी                                                        एम जे राही

  हर पल , हर लम्हा जब रंग बदलने  लगती है  जिंदगी ,
 कभी  खुशयों का अनुखा एहसास होता है ,
 तो कभी ग़मों  का अजीब सा तज्रबा ,
कुछ हालत की आंधी  में बह जाते हैं
तो कुछ जज्बात बनकर ज़माने के सामने उभर आते हैं।
  और कहलाती है
               एहसास ए ज़िन्दगी 

Friday, April 3, 2015

*** फिर समझ आया। ***

                                                  ***  फिर समझ आया।  ***               Written  by  mjrahi
            अब तो अक्सर रातों को जागने की आदत सी  हो गईं है।
और सिर्फ जागना ही नही, सोचना भी इसमें शामिल है।
बार-बार बस एक ही ख्याल, वह भी उसका जिसने कुछ भी  नही समझा ।
फिर ख्यालों ही ख्यालों में , मन में उभरने लगते हैं कई सवाल।
फिर सोचता हूँ , कि यह ख्याल जो मुझे पवित्र और पाक लगता है,
वासना तो नही।
मगर अगले ही पल फिर ख्याल आता है,
कि उसके मन में यह ख्याल कहाँ से आया?
पवित्र प्रेम को उसने कियूँ वासना बताया ?
       फिर समझ आया।
डूबती कश्ती ने सहारा पाकर।
छोड़ दया साथ किनारा पाकर।
हम जिसे अपनी जान समझते थे,
कह गया जाते जाते।
हम करेंगे भी तो क्या ? तकदीर का मारा पाकर।
 हयात उधर भी बाक़ी  है ,
  मैं भी इधर हूँ ज़िंदा ।  
वह अपने फैसले पर खुश ,
   मैं अपनी सोच पर शर्मिंदा।
         और अब  उसी तरह इस ज़िंदगी में दिन भी है,और रात भी है ,
 ग़मो का साया भी  है, और खुशयों की बरसात भी है
मगर इसके बावजूद। ………………
  

Tuesday, March 31, 2015

م  ج  راھی ........... 


چلو حیات چل کر قضا سے ملتے ہیں
محبّتوں  سے بھری آ ب و ھوا سے ملتے ہیں 

خشک هونے نہیں پاتے ہیں محبت کے زخم 
ھماری جان کے  د شمن کچھ اس ادا سے ملتے ھیں 

ان سے کہے ک بندوں سے بھی مل آے کبھی
وہ جو ہر دن نیے خدا سے ملتے ھیں


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Saturday, March 28, 2015


  एम जे राही……………

उसकी आँखों में मुहब्बत की कमी देखी है,
जिसकी खातिर मेरी आँखों ने नमी देखी है।



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Tuesday, March 24, 2015

....... ایم جے راھی


اسکی آنکھوں میں محبّت کی کمی دیکھی ہے 
جسکی خاطر میری آنکھوں نے نمی دیکھی ہے 


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Friday, March 20, 2015

     *****  मै  ज़िंदा लाश हूँ *****


ना  तुम मेरे ना  हम तेरे खफा होने से क्या होगा ?
मै  ज़िंदा लाश हूँ मुझको दुआ देने से क्या होगा?

.........………… . एम  जे राही

    **** सच फक्त यह है  ****

सारा इल्ज़ाम जो आईने पे लगा देता है
सच फक्त यह है कि  वह खुदको दगा देता है।

आईना साफ़ है  दिल का बिलकुल
सामने इसके जो आता है दिखा देता है।

.......... एम जे  राही

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औरत यानि समाज की इज्ज़त

***औरत यानि समाज की इज्ज़त*** तू प्रेम में राधा बनी , गृहस्थी मे बनी जानकी..... अब तू भी अपना रूप बदल ..... कि अब बात है तेरे सुरक्षा और सम्...