तिनका तिनका बिखर रहा हूँ मैं !
ऐसे हालात से गुज़र रहा हूँ मैं ,
तिनका तिनका बिखर रहा हूँ मैं !
आईने में ये किसका चेहरा है ?
आज ये किस से डर रहा हूँ मैं ?
इश्क़ तो आग का समंदर है ,
फिर भी इसमें उतर रहा हूँ मैं !
आज जुगनूं भी तंज़ करता है ,
चाँद तारों का हमसफ़र रहा हूँ मैं.
ए ग़ज़ल साथ अब निभा तू ही
लफ्ज़ हर लफ्ज़ मर रहा हूँ मैं।
#mjrahi
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