Saturday, November 14, 2015


तिनका तिनका बिखर रहा हूँ मैं !



ऐसे हालात  से गुज़र रहा हूँ मैं ,
तिनका तिनका बिखर रहा हूँ मैं !


आईने में ये किसका चेहरा है ?
आज ये किस से डर रहा हूँ मैं ?


इश्क़ तो आग का समंदर है ,
फिर भी इसमें उतर रहा हूँ मैं !


आज जुगनूं भी तंज़ करता है ,
चाँद तारों का हमसफ़र रहा हूँ मैं.


ए ग़ज़ल साथ अब निभा तू ही 
लफ्ज़ हर लफ्ज़ मर रहा हूँ मैं। 


#mjrahi

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