Saturday, October 1, 2016

کبھی محسوس تو کر میری محبّت جاناں !

ایک غزل قارئیں کی نذر
امید کرتا ھوں پسند جائے گی !

اپنی چاہت کا احساس دلا سکتا ھوں لیکن چھوڑو
چیڑ کر دل بھی دکھا سکتا ھوں لیکن چھوڑو

کبھی محسوس تو کر میری محبّت جاناں
تجھ پے تو جان لٹا سکتا ھوں لیکن چھوڑو

ذکر تیرا ھی ہر اک شعر میں رہتا ھے میرے
میں غزل اور بھی گا سکتا ہوں لیکن چھوڑو

زخم جو تم نے محبّت میں دیا ھے مجھکو
 ساری دنیا کو دکھا سکتا ھوں لیکن چھوڑو

تیرے آنچل کو سجا نے کے لئے تارے کیا ہیں
توڑ کر چاند بھی لا سکتا ھوں لیکن چھوڑو

ایسا لگتا ھے محبّت نہیں احسان کیا ھے تم نے
میں بھی احسان گنا سکتا ھوں لیکن چھوڑو

آج زندہ ھوں تو "فقط" تیرے لئے زندہ ھوں
خود کو میں آگ لگا سکتا ھوں لیکن چھوڑو

میں ھوں راہی~ میرا کام  ھے چلتے رہنا
چھوڑ کر تم کو میں جا سکتا ھوں لیکن چھوڑو

محمد جہانگیر راہی~

Sunday, September 25, 2016

हाँ मुझे याद है !

हाँ मुझे याद है !

कि जब तुम मुझसे बातें करती थी
तो ऐसा लगता था
जैसे
झरने का साफ़ पानी ऊँचाई से धरती पर गिर कर संगीत को जन्म दे रहा हो.
जब तुम मुस्कुराती थी तो लगता था
जैसे ...
गुलशन मॆं फूल खिल रहे हों और उसकी खुशबू से मेरी रूह सैराब हो रही हो,

दुन्या जानती है
कि प्यार करने वालों के ख्वाब निहायत ही अलबेले और दिल फरेब होते हैं,.......हकीक़त की परछाइयां जब उन ख्वाबों मॆं मिलती हैं तो ये उनकी ताबीरें नही करते......
बल्कि उन ख्वाबों की रूमानियत से ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं !

मगर यह नही जानती कि....
मुहब्बत करने वालों को जात पात कि जंजीरों मॆं बाँध कर रखा नही जा सकता.

और
आज जब तुम मेरे पास मौजौद नही हो तो पता नही क्यूँ तुम्हारी कमी मेरे दिल के तारों को झुनझुना रही है ?

साथ ही
मुझे यकीन है कि तुम आसमान के किसी कोने मॆं तारों कि झूर्मत मॆं अप्सरा कि तरह खड़ी होकर दुन्या कि बे रहमी पर मुस्कुरा रही होगी.....  😊😊😊

" काश मैं भी तुम्हें देख पाता "
मैं तो अपनी बेबसी पर चार आँसू भी नही बहा पाया 😥😥
और तुमने अपनी जिंदगी की किताब पर आखरी दस्तख़त कर दिये...... 😔😔

....... To be continue

जहांगीर राही

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Saturday, July 2, 2016

खूबसूरत एहसास हो तुम !



शुध्द गंगा सी पवित्र और खास हो तुम
मेरे दिल कि हसरत और मन कि प्यास हो तुम

मुद्दतों मैंने खयालों मॆं तराशा जिसको
उस हसीन मूरत का खूबसूरत एहसास हो तुम

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Wednesday, June 22, 2016

समझौता !

   

          जिंदगी को उदास रातों के साये तले गुजारने की जिद कहाँ पूरी हो सकी, तन्हाईयों को अपना हमसफ़र बनाने का मेरा वादा भी पूरा ना हुआ ,मेरी तक़दीर का सितारा पहले की तरह  आज भी तेज़ी से चमक कर टूट जाता है, हालात की तरहआरजूवों मॆं रोज़ नित नयी तबदिलियां नुमायां होती रहती है
        मुझे अब तक समझ नही आया के आखिर ऐसा क्यू हो रहा हे ? मैं अपने दिल की सुनता हूँ या दिमाग की बातों को मानता हूँ ? मगर यह सच है कि आगर कभी मुझे दिल कि बातों पर यकीन भी हो जाये तो मेरा दिमाग उसे कभी हकीक़त तो कभी वहम का नाम देकर मेरा मजाक बना देता है.
                                                     इन सब के बावजूद !
 ना जाने क्यु ? मैं दिल व दिमाग़ के फरेब से बाहर निकल नहीं पा रहा , जिंदगी कि कश्ती भी तजब्जूब कि शिकार है , कहीँ ये दिल और दिमाग़ मिलकर मेरे खिलाफ कोई.साजिश तो नहीं कर रहे है ?
                                                   शायद यही सच भी है !
      तभी तो एक मुद्दत हुई तुमने मेरी सुध ना ली और ये दिल है कि हमेशा तुम्हारी ख़बर जानने के लिये बेकरार रहता है और दिमाग़ दिल कि मदद के लिये बिला चूं व चिरां हर वक़्त हाज़िर रहता है , इधर दिल मॆं कसक उठी कि तुम्हारी ख़बर ली जाये , तुम्हरे हालात को जाना जाये , तुम्हारी तकलीफ को समझा जाये , तुम्हारे दर्द को महसूस किया जाये. उधर दिमाग़ तुमसे मुलाकात कि नित नयी तरकीब लेकर हाज़िर हो जाता है |
       मगर अब ना इतनी.हयात बकी है ना हौसला , के क़दम क़दम पर खुदको आजमाइश मॆं डालता रहूँ , और रोज़ नये तजर्बात करता रहूँ , वैसे भी जिंदगी ने अब तक जितना सबक सिखाया है , मेरे लिये इस जिंदगी मॆं खुशिओं को हासिल करने और गमों से साथ छुड़ाने के लिये काफी है , मगर जिंदगी का एक अहम सबक जो मुझे सीखने को मिला वोह तुमसे ही मिला ! कि  "किसी भी शै कि कीमत और अहमियत वक़्त और हालात के मुताबिक तय होती है "
       जिंदगी का ये फलसफा वैसे तो मेरी जिंदगी कि राहों से होकर कई बार गुजरा मगर इसका सही मतलब मुझे तब समझ आया जब तुमने वक़्त और हालात के मुताबिक अपनी जिंदगी के लिये मेरी कोई अहमियत नहीं समझी मेरी कोई कीमत नहीं समझी , और फिर इसे वक़्त और हालात से समझौते का नाम देकर मुझे अपनी जिंदगी से हमेशा के लिये वे दखल कर दिया ,
         और आज मैने भी तुम्हारे इस समझौते पर दस्तख़त कर दिये हैं तकिदिल और दिमाग़ कि साजिशों को हमेशा के लिये ख़त्म कर सकूं और जिंदगी जब भी मेरी आँखो मॆं झांके तो मैं भी उससे नज़रें मिला सकूं और बता सकूं के देख तूने मुझे जिससे मिलया था वह मुझे कितनी बड़ी सीख दे गया |

     शुक्र्या जिंदगी शुक्र्या !

Md Jahangeer Rahi | mjrahi

мов  07836994525

www.mjrahi.blogspot.com

Friday, April 8, 2016







Kaam  Jab bhi koi nya kijye 
Mashwara dosto kar liya kijye

Aayine ki trah saaf hai dil mera 
Aap bhi apna dil aayina kijye 

Zindgi me mulakat khushyiyon se ho
Ho sake to yhi ab dua kijye 

Har kadam par yun  thak har kar baidhna 
Theek hota nhi hausla kijye 

Kuchh to aadab e ishq o mohabbat bhi ho
Aap bhi  humse chhup kr mila kijye 

Chhod kar nafratoon k sabhi baam o dar 
Chahaton k safar me rha kijye 

Woh jo mera mukaddar nhi hai agar 
Dard deta hai q faisla kijye 

Agar chah mahsos karna ho rahi ka gham 
To Ghazal iski tanha padha  kijye


MJRAHI

Monday, April 4, 2016

हौसला कीजिये ! #mjrahi



काम जब भी कोई नया कीजिये 
मशवरा दोस्तो कर लिया  कीजिये 

आईने की तरह साफ़ है दिल मेरा 
आप भी अपना दिल आईना कीजिये 

जिंदगी मॆं मुलाकात खुशयों से हो 
हो सके तो यही अब दुआ कीजिये 

हर क़दम पर यूँ थक हार कर बैठना 
ठीक होता नहीं हौसला कीजिये 

यही आदाब ए  इश्क ओ मुहब्बत भी है
आप भी हमसे छुप कर मिला किजिये 

छोड़ कर नफ़रतों के सभी बाम ओ दर 
चाहतों के सफर मॆं रहा किजिये 

वह जो मेरा मुकद्दर नहीं है तो फ़िर 
दर्द देता है क्यू फैसला किजिये 

आगर जो महसुस करना हो राही का ग़म 
तो ग़ज़ल इसकी तन्हा पढा किजिये 

#mjrahi

Tuesday, February 2, 2016

मुझे फ़िरसे तू वो ख़याल दे !



कभी गाँव गाँव कभी शहर शहर
कभी शाम शाम कभी दोपहर 
कभी बार बार कभी एक नज़र  
कभी इस नगर कभी उस नगर
तुझे ढूंढ़ती है हर घड़ी 
मेरी नज़र मेरी नज़र 

तू जब मेरा हबीब था 
मेरा औज पर नसीब था 
मैं बड़ा ही खुश नसीब था 
वो जमना भी अजीब था 
मैं उन्हीं पलों को ढूँढता हूँ 
आज फिर इधर उधर 

मुझे फ़िरसे तू वो ख़याल दे 
कि जमना जिसकी मिसाल दे 
ये तो सब खुदा के है हाथ मॆं 
वो उरूज दे या ज़वाल  दे 
ज़रा पास आके सोच ले 
तू भी इन उरूज ओ ज़वाल पे 

Md Jahangeer Rahi 

#mjrahi 

Saturday, January 2, 2016

ख्वाब जो बिखरे फिरते हैं !

इस साल को मैं तन्हाई मॆं खुशयों के गीत सुनाऊंगा
ख्वाब जो बिखरे फिरते हैं चुन चुन कर उसे सजाउँगा

तू खुशबू हवा मॆं घोल ज़रा , खामोश न रह कूछ बोल ज़रा
आँचल  मॆं तेरी लगाने को, मैं तारे तोड़ के लाउँगा

दूर हूँ मैं मजबूर है तू, है तुझको पता है मुझको ख़बर,
तू यादों के दीप जलायेगी
मॆं तेरी याद मनाऊंगा,

सांसो मॆं अजब सी उलझन, यादों का सुलगता गुलशन है
इस बार तुम्हरी चाहत मॆं, इस दिल को  आग लगाऊँगा

#mjrahi

औरत यानि समाज की इज्ज़त

***औरत यानि समाज की इज्ज़त*** तू प्रेम में राधा बनी , गृहस्थी मे बनी जानकी..... अब तू भी अपना रूप बदल ..... कि अब बात है तेरे सुरक्षा और सम्...