Wednesday, June 22, 2016

समझौता !

   

          जिंदगी को उदास रातों के साये तले गुजारने की जिद कहाँ पूरी हो सकी, तन्हाईयों को अपना हमसफ़र बनाने का मेरा वादा भी पूरा ना हुआ ,मेरी तक़दीर का सितारा पहले की तरह  आज भी तेज़ी से चमक कर टूट जाता है, हालात की तरहआरजूवों मॆं रोज़ नित नयी तबदिलियां नुमायां होती रहती है
        मुझे अब तक समझ नही आया के आखिर ऐसा क्यू हो रहा हे ? मैं अपने दिल की सुनता हूँ या दिमाग की बातों को मानता हूँ ? मगर यह सच है कि आगर कभी मुझे दिल कि बातों पर यकीन भी हो जाये तो मेरा दिमाग उसे कभी हकीक़त तो कभी वहम का नाम देकर मेरा मजाक बना देता है.
                                                     इन सब के बावजूद !
 ना जाने क्यु ? मैं दिल व दिमाग़ के फरेब से बाहर निकल नहीं पा रहा , जिंदगी कि कश्ती भी तजब्जूब कि शिकार है , कहीँ ये दिल और दिमाग़ मिलकर मेरे खिलाफ कोई.साजिश तो नहीं कर रहे है ?
                                                   शायद यही सच भी है !
      तभी तो एक मुद्दत हुई तुमने मेरी सुध ना ली और ये दिल है कि हमेशा तुम्हारी ख़बर जानने के लिये बेकरार रहता है और दिमाग़ दिल कि मदद के लिये बिला चूं व चिरां हर वक़्त हाज़िर रहता है , इधर दिल मॆं कसक उठी कि तुम्हारी ख़बर ली जाये , तुम्हरे हालात को जाना जाये , तुम्हारी तकलीफ को समझा जाये , तुम्हारे दर्द को महसूस किया जाये. उधर दिमाग़ तुमसे मुलाकात कि नित नयी तरकीब लेकर हाज़िर हो जाता है |
       मगर अब ना इतनी.हयात बकी है ना हौसला , के क़दम क़दम पर खुदको आजमाइश मॆं डालता रहूँ , और रोज़ नये तजर्बात करता रहूँ , वैसे भी जिंदगी ने अब तक जितना सबक सिखाया है , मेरे लिये इस जिंदगी मॆं खुशिओं को हासिल करने और गमों से साथ छुड़ाने के लिये काफी है , मगर जिंदगी का एक अहम सबक जो मुझे सीखने को मिला वोह तुमसे ही मिला ! कि  "किसी भी शै कि कीमत और अहमियत वक़्त और हालात के मुताबिक तय होती है "
       जिंदगी का ये फलसफा वैसे तो मेरी जिंदगी कि राहों से होकर कई बार गुजरा मगर इसका सही मतलब मुझे तब समझ आया जब तुमने वक़्त और हालात के मुताबिक अपनी जिंदगी के लिये मेरी कोई अहमियत नहीं समझी मेरी कोई कीमत नहीं समझी , और फिर इसे वक़्त और हालात से समझौते का नाम देकर मुझे अपनी जिंदगी से हमेशा के लिये वे दखल कर दिया ,
         और आज मैने भी तुम्हारे इस समझौते पर दस्तख़त कर दिये हैं तकिदिल और दिमाग़ कि साजिशों को हमेशा के लिये ख़त्म कर सकूं और जिंदगी जब भी मेरी आँखो मॆं झांके तो मैं भी उससे नज़रें मिला सकूं और बता सकूं के देख तूने मुझे जिससे मिलया था वह मुझे कितनी बड़ी सीख दे गया |

     शुक्र्या जिंदगी शुक्र्या !

Md Jahangeer Rahi | mjrahi

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