शुध्द गंगा सी पवित्र और खास हो तुम
मेरे दिल कि हसरत और मन कि प्यास हो तुम
मुद्दतों मैंने खयालों मॆं तराशा जिसको
उस हसीन मूरत का खूबसूरत एहसास हो तुम
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***औरत यानि समाज की इज्ज़त*** तू प्रेम में राधा बनी , गृहस्थी मे बनी जानकी..... अब तू भी अपना रूप बदल ..... कि अब बात है तेरे सुरक्षा और सम्...
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