Wednesday, October 29, 2014

मेरे ख्वाबों की मानिंद ...........

छोड़कर मुझको वह अगर जाएगा ,
मेरे ख्वाबों की मानिंद बिखर जाएगा। 

आईना  खौफ से वाक़िफ़ तो नही है लेकिन ,

मेरी आँखों में जो देखेगा तो डर जायेगा। 

………………… एम जे राही 

Monday, October 27, 2014

ख्वाबों की तादाद बढ़ाता रहता हूँ

ख्वाबों की तादाद बढ़ाता रहता हूँ 
बिन शादी औलाद बढ़ाता रहता हूँ 

 सुबह भली हो या हो चाहे शाम हसीं ,
 पलकों पे हर वक़्त  झुलाता रहता हूँ 

आंसू बन कर चुभता है वह आँखों में 
जिसकी हर पल याद मनाता रहता हूँ 

 ……………………।

                         ............mjrahi



तू तो मोहब्बत है मेरि....

तेरे ग़म से आशना होकर
तेरे दर्द को महसूस करना
जैसे आदत है मेरी
तू तो मोहब्बत है मेरी ....

तेरी आँखों में खुद को तलाशना
तेरी यादों में रातों को जागना
जैसे फितरत है मेरी
तू तो मोहब्बत है मेरी ....

आईने से गुफ्तुगू करना
हरपल तेरी आरज़ू करना
खुद पर ये इनायत है मेरी
तू तो मोहब्बत है मेरी ....

………………एम जे रहि 

ستاروں کو درد ہے

         گھایل ہے آسماں تو ستاروں کو درد ہے
        ہم ہی نہیں ہیں تنہاں ہزاروں کو درد ہے

         جب لٹ گئی بہار مے گلشن کی آبرو
پھولوں کی چال دیکھ کے خاروں کو درد ہے 

Friday, October 10, 2014

उसने समझा ही नही !

              उसने समझा ही नही !

    ख़ुद को जो अपनी निगाहों से गिरा देता है,
    ऐसे इंसान को हर शख़्स भुला देता है।

    कौन अब दर्द ए मोहब्बत को संभाले रखे,
    मांगने वालों को हर चीज़ खुदा देता है।

    उसने समझा ही नही प्यार का असली मतलब,
     इश्क़ पत्थर को भी भगवन बना  देता है।  ..............

      .........................................................mjrahi

Thursday, October 9, 2014

आदर्श _प्रेम

                      .                 आदर्श_प्रेम 

                             रात लग-भग आधी गुज़र चुकी थी, मोहल्ले के तमाम नवजात बच्चे भी अपनी माँ के सीने से लगकर सो रहे थे ,चांदनी रात थी ,चाँद की रौशनी  के साथ-साथ माहौल में सन्नाटा भी पसरा  हुआ था, खामोश खड़े दरख़्तों की पत्तियों ने आपस में मिलकर जैसे ही  मोहब्बत की  रागनी  बजाई , आदर्श चींख पड़ा . और आदर्श की  चींख से सारा मोहल्ला जाग गया। 
 आदर्श की चींख अब सिसकियों मे तब्दील हो चुकी थी , माँ सरहाने मे बैठी बालों मे ऊँगली घुमाते हुवे उम्मीद बांधते बोलती '' बेटा कुछ नही होगा तुम्हें '' सो जाओ रात काफी हो चुकी है , सुबह जल्दी उठना है, और खुद ही रो पड़ती।
 जवान बेटे की इस हालत पर माँ का दिल रो कर चुप हो भी जाता , मगर मोहल्ले के  लोगों के पास वह दिल  कहाँ था  जो रोज़ आदर्श को हो रही  इस पीड़ा को महसूस कर सके।                                  
                                                                                                     ………………जारी 


………mjrahi

शबनम टपक पड़ी !

हमने तुम्हारे हुस्न पर  जब भी ग़ज़ल कही ,
ऐसा लगा   के  फूल पर शबनम टपक पड़ी।

 इल्ज़ाम ए बेवफाई  मुझपर फ़ुज़ूल है ,
करते हैं इश्क़ तुमसे तो होती है शायरी। 


……………… एम जे राही 


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औरत यानि समाज की इज्ज़त

***औरत यानि समाज की इज्ज़त*** तू प्रेम में राधा बनी , गृहस्थी मे बनी जानकी..... अब तू भी अपना रूप बदल ..... कि अब बात है तेरे सुरक्षा और सम्...