Saturday, March 25, 2017

             ***** एहसास ए ज़िंदगी *****    

      उसके इस तरह अचानक मुझसे अलग होने के फैसले से मैं बहुत उदास हो गया मैने उसे मनाने कि बहुत कोशिश कि मगर उसने मेरी एक ना सुनी, और मुझसे हमेशा के लिये अपने आपको अलग कर लिया |
  मैं कुछ दिनो तक अपनी ज़िंदगी को मायूसी के आलम मे जीता रहा , फिर एक दिन अचानक मेरी नज़र एक अखबार मे छपी कहानी पर पड़ी ज़िसका ऊनवान था "नजरिया " ज़िसमे लिखा था कि....
     किसी गांव मे एक आश्रम था वहाँ एक  बाबा के साथ साथ उनके कुछ शिष्य भी रहते थे बाबा  उन्हे अध्यात्म के साथ सफल और सरल जीवन जीने का ज्ञान दिया करते थे | एक बार कि बात है एक किसान आश्रम मे एक गाय  दे गया , शिष्य ने बाबा को किसान और और गाय के बारे मे बताया तो बाबा ने शिष्य से कहा गया की देख रेख करो और इसके दुद्ध से लाभ उठाओ |
   फिर कुछ दिन बाद वही किसान आया और गाय को वापस ले गया ,
 शिष्य ने बाबा को सारी बातें बाताई  , बाबा ने कहा चलो अच्छा हुआ रोज रोज गोबर उठाने के झंझट से मुक्ती मिली |
        युँ तो यह बात बहुत आसान  थी मगर समझने मे काफी  देर लगी फिर किया था मैने भी अपने सोचने का नजरिया बदल दिया |
  हाँ यह सच है कि ज़िंदगी अचानक नहीं बदलती थोड़ा वक्त लगता है मगर हाँ ज़िंदगी बदलने कि शुरुआलत उसी दिन से हो जाती है जिस दिन से हम अपने नजरिये को सकारात्मक बना लेते हैं | मुझे अपनी ज़िंदगी मे हमेशा इस बात का एहसास होता रहता है ,
  और अब कभी भी उसके जाने के गम का " एहसास " तक नहीं होता |


                      *** मोहम्माद जाहांगीर राही ***

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