तु भी महसूस तो कर !
#mjrahi
ये तल्खयाँ , क्यों मेरे लफ्ज़ो में नज़र आती है ?
ये दर्द क्यों मेरे हमराह चला आता है ?
ये तीरगी क्यों मेरी तकदीर बनी जाती है ?
ये चाँद क्यों मेरे दिल को जला जाता है ?
तु भी महसूस तो कर !
क्यों मेरे मासूम से ख्वाब ?
अब न खिलते हैं न हँसते हैं न मुस्काते हैं ,
ज़िंदगी कर्ब से थर्राती है लम्हा लम्हा ,
और कज़ा पास बुलाने से भी घबराती है ?
तु भी महसूस तो कर !
क्यों तेरी याद सताती है मुझे ?
क्यों तेरे दर्द को मैंने संभाले रखा ?
क्यों तेरी तस्वीर जलाई नही अबतक ?
क्यों तेरे ज़ख्मों को पाले रखा ?
तु भी महसूस तो कर !
क्यों तू नादिम है वफ़ा पर अपनी ?
इश्क़ पर अपने मै क्यों शर्मिंदा हूँ ?
कोई मकसद न इरादा है न हसरत कोई !
तो क्यों ज़िंदा हूँ ? मैं किसके लिए ज़िंदा हूँ ????
#mjrahi
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