Friday, May 29, 2015

तु भी महसूस तो कर !

तु भी महसूस तो कर !
ये तल्खयाँ  , क्यों  मेरे लफ्ज़ो में नज़र आती है ?
ये दर्द क्यों मेरे  हमराह चला आता है ?
ये तीरगी क्यों  मेरी तकदीर बनी जाती है ?
ये चाँद क्यों मेरे दिल को जला जाता है ?
तु भी महसूस तो कर !

 क्यों मेरे मासूम से ख्वाब ?
अब न खिलते हैं न हँसते हैं न मुस्काते हैं , 
ज़िंदगी कर्ब  से थर्राती है  लम्हा लम्हा , 
और कज़ा पास बुलाने से भी घबराती है ?
तु भी महसूस तो कर !

 क्यों तेरी याद सताती है मुझे ? 
क्यों तेरे दर्द को मैंने संभाले रखा ?
क्यों तेरी तस्वीर जलाई नही अबतक ?
क्यों तेरे ज़ख्मों को पाले रखा ?

तु भी महसूस तो कर !


क्यों तू नादिम है वफ़ा पर अपनी ?
इश्क़ पर अपने मै क्यों शर्मिंदा हूँ ?
कोई मकसद न इरादा है न हसरत कोई !
तो क्यों ज़िंदा हूँ ? मैं किसके लिए ज़िंदा हूँ ????

#mjrahi

copyright: allrightreserved@mjrahi

Saturday, May 9, 2015


م  ج  راھی                          

قیا مت سے پہلے قیا مت ہوئی ہے
بہت خوبصورت شرارت ہوئی ہے 

میرے جسم پر جسکی گولی چلی تھی 
اسی کی میرے گھر ضیافت ہوئی ہے 



औरत यानि समाज की इज्ज़त

***औरत यानि समाज की इज्ज़त*** तू प्रेम में राधा बनी , गृहस्थी मे बनी जानकी..... अब तू भी अपना रूप बदल ..... कि अब बात है तेरे सुरक्षा और सम्...